केसी वोह बारिश की पेहली फुवार थी
तुम्हारी झलक पाने बस को , ये आँखें बेकरार थी
तुम अपनी तीन सहेलियों के साथ मुस्करा रही थी
और तुम्हें छूटी बर्रिश की बुँदे हमें जला रही थी
जाने वक़्त थम सा गया था
नज़रो मैं सायद कोई बस सा गया था
हवाओ मैं कुछ एक अलग सी गरमाहट थी
और हमारे चेहरे पर ना जाने , वोह केसी मुस्कराहट थी
दिल को पगला बना , चल तो दिए थे वहाँ से हम
पर ना जाने क्यों मन मै ,तुमसे मिलने की ख्वाइश थी
छोड़ अपने मिलने का रास्ता तक़दीर भरोसे ,सायद हमें सही वक़्त की
तलाश थी
पर जान अपने दोस्त की दीवानगी तुम पर , चुप से रह गए थे हम
तुम्हे उसके साथ खुश देख , दिल मैं संतोष कर गए थे हम
कितने आसुंओगुट का घूंट पी कर भी ,चेहरे पर मुस्कराहट छोड़ गए थे
हम
पर हमारी खामोशी से सायद , सब कुछ कह गए थे हम
पर जान उसकी बेवफाई के इरादे , चुप ना रह सके हम
जिसके साथ प्यार करने के सपने देखे थे , उससे भी लड़ पड़े थे हम
तुम्हरे कटाक्ष भरे शब्द भी , सेह गए थे हम
गम की राहो मैं अकेले ही चल दिए थे हम
तुम्हे भुला कर जीने की कोशिश तो की
पर भूल गए थे। अपने रूह को तो तुम्हारे हवाले कर दिए थे हम
जीने से तो मारना सही लगा हमें
पर घरवालो का चेहरा देख , रुक गए थे हम
पर ना जाने आज वक़्त ने केसी करवट ली है
लगता है सायद फिर मिल सकतें है हम
कोसिश करे हम तुम सब कुछ भुला कर जीने की तो फिर सायद साथ जी सकतें है हम
वरना साथ जी ना सके तो , साथ मर सकतें है हम
तुमसे आज भी उतनी ही मोहब्बत करते हैं हम
तुमसे आज भी उतनी ही मोहब्बत करते हैं हम
Jaante hain hum tumhe fir bhi anjaane se lagte ho
ReplyDeleteyun to hasate ho sabko par khud gamgeen lagte ho
aasuon ki baarish mein tu zyada mat bheeg
unhi aasuon ki syahi se ek nayi kahani likh .... :) :)
-Durwasa
(waise itni ghatia aur koi likh bhi nahi sakta)